Baat Nahi Karne Ki Shayari in Hindi: बात नहीं करने की शायरी दिल के उन अनकहे एहसासों को बयाँ करती है, जब कोई अपना खामोश हो जाए। यह शायरी उन लम्हों का चित्रण है, जब रिश्तों के बीच दूरी आ जाती है, और मन में सवाल उठते हैं – क्यों बात नहीं हो रही? ऐसी शायरियों में दर्द, शिकायत, और उम्मीद के भाव छिपे होते हैं। ये शब्द उस चुप्पी को तोड़ने की कोशिश करते हैं, जो दिल में कचोट पैदा करती है।
Baat Nahi Karne Ki Shayari न केवल अपने दिल की बात कहने का जरिया है, बल्कि रिश्तों को जोड़ने और उनकी अहमियत जताने का एक खूबसूरत अंदाज भी है। अगर आप भी किसी से बात ना होने की कसक महसूस कर रहे हैं, तो इस शायरी के जरिये अपने दिल की बात आसानी से कह सकते हैं।
तुम्हारी खामोशी ने सवाल कर डाले,
क्या हम इतने भी अपने नहीं थे?
ना बात करते हो, ना वजह बताते हो,
इस दूरी के पीछे क्या राज छुपाते हो?
खफा हो तो कह दो, मनाने आ जाएंगे,
पर ये चुप्पी हमें तड़पाए जा रही है।
जब से तुमने बात करना छोड़ा,
दिल ने मुस्कुराना भी छोड़ दिया।
क्या गलती हुई, जो खता बन गई,
तुम्हारी खामोशी हमारी सजा बन गई।
तुम्हारे बिना अब खामोशी से रिश्ता है,
हर आहट में बस तुम्हारा नाम लिखा है।
चुप हो गए हो, तो कोई बात नहीं,
पर हमारी बेचैनी का हिसाब कौन देगा?
ना जाने किस बात का गिला है तुम्हें,
जो तुमने इस दिल से रिश्ता तोड़ दिया।
तुमसे बात किए बिना ये दिन नहीं कटता,
पर तुम हो कि खामोश बैठे हो।
हर रात को इंतजार रहता है तुम्हारी आवाज़ का,
पर हर सुबह मायूसी ही लाती है।
माना नाराज़ हो, पर इतना तो बता दो,
क्या अब हमारी कोई अहमियत नहीं रही?
कभी घंटों बातें करते थे,
अब एक मैसेज का जवाब भी नसीब नहीं।
तेरी हर खामोशी सवाल बनकर आती है,
दिल पूछता है, क्या अब बात नहीं होगी?
ना बात करते हो, ना हाल बताते हो,
क्या इतने बेगाने हो गए हो?
जिस खामोशी को मैं सुकून समझता था,
वो अब मेरी बेचैनी बन गई है।
तेरे खामोश लफ्ज़ों ने जो कहा,
वो मेरे बोल भी छीन ले गया।
एक वक्त था, जब तुम मेरे हर सवाल का जवाब थे,
आज तुम्हारी चुप्पी मेरे सवाल बन गई।
तेरी मुस्कान के बिना हर सुबह अधूरी लगती है,
और तेरी बातों के बिना हर शाम सूनी।
चाहे जितना खफा हो, पर इतना कह देना,
कि हम अभी भी तुम्हारे अपने हैं।
खामोश हो गए वो लफ्ज़, जो दिल को राहत देते थे,
अब हर बात एक याद बनकर चुभती है।
जब भी तेरी आवाज़ सुनने की कोशिश करता हूं,
सिर्फ खामोशी जवाब देती है।
तेरी चुप्पी हर सवाल का जवाब देती है,
पर दिल इसे मानने को तैयार नहीं।
बात ना करके भी दूरियां बढ़ा लेते हो,
क्या इतना भी नहीं समझते कि हम टूट जाते हैं?
मुझे खामोशी से कोई शिकवा नहीं,
पर तुम्हारी आवाज़ सुने बिना सुकून नहीं।
जिसने बातों से खुशियां दी थीं,
आज उसकी खामोशी दर्द दे रही है।
तुम्हारी हर खामोशी,
हमारे लिए एक सज़ा बन गई है।
तुमने तो खामोशी अपनाई,
पर हमारा दिल अभी भी पुरानी बातें गुनगुनाता है।
तुम्हारी चुप्पी में भी,
हमने तुम्हारी आवाज़ ढूंढी है।
हर दिन उम्मीद रहती है कि बात होगी,
पर हर रात खामोशी के साथ गुज़रती है।
तुम्हारी बात ना करने की आदत ने,
हमें खामोश रहना सिखा दिया।
जिस खामोशी को मैंने कभी नज़रअंदाज़ किया,
आज वही खामोशी मुझे रुला रही है।
तुम्हारी चुप्पी ने इतना दर्द दिया है,
कि अब खामोशी से भी डर लगने लगा है।
जब से तुमने बात करना छोड़ा,
खुशियां जैसे हमारे दरवाजे से लौट गईं।
तेरी बेरुखी ने वो किया,
जो कभी दुश्मनों ने भी नहीं किया।
दिल चाहता है तुम्हें सब कुछ बता दूं,
पर तुम्हारी खामोशी से डर लगता है।
तुम्हारी बातें थीं जो ज़िंदगी में रंग भरती थीं,
अब ये खामोशी हर लम्हा बेरंग कर गई।
जिसे हर खुशी का कारण समझा,
आज वही मेरी हर उदासी की वजह है।
तुम्हारी नाराज़गी तो सह लेंगे,
पर ये चुप्पी बर्दाश्त से बाहर है।
तुम्हारे बिना अब सपने भी नहीं आते,
बस तन्हाई के साए में रात गुजर जाती है।
एक वक्त था, जब बातों का सिलसिला खत्म नहीं होता था,
आज चुप्पी का सफर खत्म होने का नाम नहीं लेता।
तेरे बिना हर पल खाली सा लगता है,
जैसे चांद बिना चांदनी के रह गया हो।
तुम्हारा मतलब खत्म हुआ, तो रिश्ता भी खत्म हुआ,
ये इश्क नहीं, बस एक सौदा हुआ।
जब तक काम था, तो आवाज़ सुरीली थी,
अब खामोशी भी बोझिल लगती है।
तुमने बात करना छोड़ा,
क्योंकि अब तुम्हारे फायदे की बात नहीं रही।
मतलब निकलते ही खामोश हो गए,
ऐसे लोग अक्सर सच्चे दिलों को तोड़ देते हैं।
मतलबी लोग प्यार नहीं करते,
बस वक्त काटने के लिए बातें करते हैं।
तुम्हारी खामोशी ने ये सिखा दिया,
कि मतलब से बढ़कर इस दुनिया में कुछ नहीं।
जब जरूरत थी, तो हर दिन बात होती थी,
अब जैसे हम कभी थे ही नहीं।
बात नहीं करते, क्योंकि अब तुम्हें कोई जरूरत नहीं,
पर दिल को समझाएं, ये इतना आसान नहीं।
तुम्हारा मतलब खत्म, तो हमारी अहमियत भी खत्म,
शायद यही दुनिया का दस्तूर है।
तेरे खामोश हो जाने का सच समझ गए,
हम अब मतलब से ज्यादा कुछ नहीं रहे।
Tumhari khamoshi sab kuch keh gayi,
Par humare sawaalon ka jawab nahi de gayi.
Na jaane kis baat ka gila hai tumhe,
Jo tumne humein yaadon se mita diya.
Baat nahi karte ho toh chalega,
Par yaad bhi nahi karte, yeh kaise hoga?
Tumhari awaaz sunne ki aadat thi,
Ab khamoshi ke saath jeena seekh raha hoon.
Dil ke har kone mein tum ho,
Par tumhari khamoshi se tanha hoon.
Kabhi tum baaton se humein hasaya karte the,
Ab tumhari khamoshi humein rulati hai.
Bina baat kiye bhi mohabbat hoti hai,
Par bina baat ke dil tadapta hai.
Hum khamoshi ko bhi sunna chahte hain,
Par tumhare dil ki awaaz nahi milti.
Tumhare bina baatein adhuri lagti hain,
Aur khamoshi zyada gehri lagti hai.
Jab tumhari awaaz nahi sunta,
Dil ek ajeeb si udaasi mehsoos karta hai.
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